भारत का पासपोर्ट रैंकिंग 2025 में 199 देशों में 148वें स्थान पर – जानिए कारण और असर
Nomad Capitalist india Passport ranking Index 2025 के अनुसार, भारत का पासपोर्ट 199 देशों में से 148वें स्थान पर है। भारत ने यह स्थान कोमोरोस देश के साथ साझा किया है। पिछले वर्ष (2024) में भारत की रैंकिंग 147वीं थी, जिससे साफ है कि भारत की स्थिति में थोड़ा और गिरावट आई है।
क्या है Nomad Capitalist Passport Index?
यह एक वार्षिक रिपोर्ट है जो दुनियाभर के पासपोर्टों को पाँच मानदंडों के आधार पर रैंक करती है:
1. वीजा-फ्री यात्रा (50%) – कितने देशों में बिना वीजा के यात्रा संभव है।
2. कर प्रणाली (20%) – विदेशी आय पर टैक्स की नीतियाँ कितनी अनुकूल हैं।
3. वैश्विक छवि (10%) – देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा।
4. दोहरी नागरिकता की अनुमति (10%) – क्या नागरिक एक से अधिक देश की नागरिकता रख सकते हैं।
5. व्यक्तिगत स्वतंत्रता (10%) – देश में नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार की स्थिति।
भारत की कम रैंकिंग के पीछे कारण
- भारत का कुल स्कोर 47.5 है। निम्न रैंकिंग के पीछे निम्नलिखित कारण माने जा रहे हैं:
- भारतीय पासपोर्ट पर वीज़ा-फ्री देशों की संख्या सीमित है।
- भारत की कर प्रणाली विदेशी नागरिकों और निवेशकों के लिए आकर्षक नहीं मानी जाती।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं और अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसे मानकों पर भारत की छवि कुछ हद तक प्रभावित हुई है।
2025 के टॉप 3 पासपोर्ट
1. आयरलैंड – पहले स्थान पर, स्कोर: 109
2. स्विट्ज़रलैंड – दूसरे स्थान पर, स्कोर: 108.5
3. ग्रीस – तीसरे स्थान पर, स्कोर: 108.5
इन देशों को वीज़ा-फ्री यात्रा, निवेशकों के लिए लाभदायक टैक्स नीति, और उच्च व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे मापदंडों पर ऊँचा स्थान मिला है।
भारतीय नागरिकों के लिए क्या मायने हैं?
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत का पासपोर्ट अन्य कई देशों की तुलना में सीमित ताकत रखता है। जो लोग अधिक वैश्विक यात्रा, व्यवसाय, या नागरिकता विकल्प चाहते हैं, उनके लिए दूसरे देशों की दूसरी नागरिकता या रेजिडेंसी प्लान पर विचार करना उपयोगी हो सकता है।
भारतीय पासपोर्ट इंडेक्स में सुधार कैसे कर सकती है सरकार
1. वीज़ा-फ्री एक्सेस बढ़ाना
दूसरे देशों से बेहतर कूटनीतिक रिश्ते बनाने होंगे ताकि भारतीय पासपोर्ट पर वीज़ा-फ्री या वीज़ा ऑन अराइवल एंट्री की अनुमति मिले।
स्ट्रॉन्ग पासपोर्ट डिप्लोमेसी जैसे UAE, जापान और सिंगापुर करते हैं – जिनके पासपोर्ट दुनिया में सबसे ताकतवर माने जाते हैं।
2. टैक्स सिस्टम को निवेश के अनुकूल बनाना
विदेशों से आने वाली आय पर टैक्स रियायतें दी जाएं।
NRI और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सिंपल और ट्रांसपेरेंट टैक्स पॉलिसी बनानी होगी।
3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता में सुधार
अभिव्यक्ति की आज़ादी, मीडिया की स्वतंत्रता और डेटा प्राइवेसी जैसे मामलों में मजबूत लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाना होगा।
विरोध और आंदोलन जैसे अधिकारों को संवैधानिक रूप से सुरक्षित रखना होगा।
4. वैश्विक छवि सुधारना
भारत को एक लोकतांत्रिक, शांतिप्रिय और इनोवेटिव देश के रूप में पेश करना चाहिए।
इंटरनेशनल मीडिया और मंचों पर भारत की सकारात्मक छवि बनाने के लिए रणनीति बनानी होगी।
5. दोहरी नागरिकता की अनुमति पर विचार
भारत में फिलहाल द्वैध नागरिकता (Dual Citizenship) की अनुमति नहीं है।
अगर सरकार “Overseas Citizenship of India (OCI)” को और ज़्यादा अधिकारों से लैस करे, तो यह भारतीय पासपोर्ट की वैल्यू को बढ़ा सकता है।
सरल शब्दों में:
“वीज़ा एक्सेस + टैक्स में छूट + आज़ादी + ग्लोबल इमेज = मजबूत पासपोर्ट”
अगर सरकार इन बिंदुओं पर काम करती है, तो आने वाले वर्षों में भारत की रैंकिंग निश्चित रूप से सुधरेगी।
बहुत बढ़िया सवाल सरफराज! अगर भारत को आंतरिक (Internal) स्तर पर सुधार करना है ताकि उसका पासपोर्ट मजबूत बने और वैश्विक रैंकिंग बेहतर हो, तो नीचे दिए गए क्षेत्रों में गहराई से विकास और सुधार करना ज़रूरी होगा:
भारत को आंतरिक स्तर पर क्या डेवेलप करना होगा?
1. लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूत करना
मीडिया की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, और नागरिक अधिकारों की रक्षा।
लोगों को बोलने, लिखने और विरोध करने की आज़ादी को सुरक्षित करना।
2. सुरक्षा और कानून व्यवस्था में सुधार
देश में कम अपराध दर और महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान देना ताकि भारत की इंटरनेशनल इमेज सुरक्षित और आकर्षक बने।
कानून का तेज़ और निष्पक्ष कार्यान्वयन।
3. टैक्स स्ट्रक्चर में पारदर्शिता और सरलता
इनकम टैक्स और जीएसटी सिस्टम को और सरल व डिजिटल बनाना।
विदेशी निवेशकों और NRIs के लिए सुविधाजनक टैक्स नीति बनाना।
4. शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट
नागरिकों को ग्लोबली कम्पेटेटिव स्किल्स देना – जैसे AI, टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्योरिटी, भाषाएँ।
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर बनाना.
5. डिजिटल गवर्नेंस और पारदर्शिता
सरकारी प्रक्रियाओं को डिजिटल और ईज़ी बनाना – जैसे पासपोर्ट सेवा, वीज़ा आवेदन, टैक्स फाइलिंग आदि।
भ्रष्टाचार पर सख्त नियंत्रण।
6. समावेशी विकास (Inclusive Growth)
गरीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी जैसी समस्याओं को खत्म करना।
हर नागरिक को स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार की पहुंच।
7. पर्यावरण और स्थायित्व
क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए हरित ऊर्जा, सस्टेनेबल सिटीज़ और साफ-सफाई पर फोकस करना।
निष्कर्ष
Nomad Capitalist की यह रैंकिंग सिर्फ यात्रा की स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण से नागरिकों की आज़ादी, टैक्स लाभ और वैश्विक छवि को भी दर्शाती है। भारत को यदि अपने पासपोर्ट की ताकत बढ़ानी है, तो उसे इन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।भारत का पासपोर्ट तभी ताकतवर बनेगा जब भारत खुद अंदर से मजबूत, निष्पक्ष, सुरक्षित, और ग्लोबल फ्रेंडली बनेगा।”