रमज़ान में रोज़ा तोड़कर पति-पत्नी का हमबिस्तर होना: इस्लामिक हुक्म और कफ़्फ़ारा
इस्लाम में रमज़ान के दौरान रोज़ा रखना एक फर्ज़ इबादत है। यदि कोई पति-पत्नी जानबूझकर दिन के समय (सहरी के बाद और इफ़्तार से पहले) आपसी सहमति से हमबिस्तर (Sexual intercourse) होते हैं, तो उनका रोज़ा टूट जाता है और इस पर सख्त क़ानूनी (शरीअती कानून ) हुक्म लागू होता है।
इस्लामिक हुक्म (Ahkam):
1. क़ज़ा (छूटे हुए रोज़े की क़ज़ा करना)
✅दोनों पति-पत्नी को तौबा (सच्चे दिल से अल्लाह से माफ़ी मांगनी) करनी होगी।
✅रमज़ान के बाद एक दिन का रोज़ा रखना होगा (जितने रोज़े तोड़े, उतने रोज़े की क़ज़ा ज़रूरी है)।
2. कफ्फ़ारा (अत्यधिक प्रायश्चित / बड़ा गुनाह मिटाने का तरीका)
रमज़ान के रोज़े को जानबूझकर (बिला किसी शरीअती कारण के) हमबिस्तर होकर तोड़ने की स्थिति में, सिर्फ क़ज़ा काफ़ी नहीं बल्कि कफ्फ़ारा भी देना होगा। यह तीन में से किसी एक तरीके से पूरा किया जा सकता है:
पहला : गुलाम आज़ाद करना
1. एक मुसलमान गुलाम को आज़ाद करना (आज के समय में यह संभव नहीं है, इसलिए अगले विकल्प पर अमल किया जाएगा)।
दूसरा : 60 दिन तक लगातार रोज़
2. लगातार 60 दिन तक रोज़ा रखना (अगर बीच में बिना किसी इस्लामिक कारण के छुट गया, तो फिर से शुरुआत करनी होगी)।
तीसरा : 60 गरीबों को खाना
3. यदि कोई व्यक्ति 60 दिन रोज़ा नहीं रख सकता (बीमारी, कमजोरी या अन्य वैध कारण से), तो उसे 60 ग़रीबों को खाना खिलाना होगा (हर व्यक्ति को दो वक़्त का खाना देना । वो गरीब और मिस्कीन होने चहिए।
हदीस से साबित :
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि एक व्यक्ति अल्लाह के रसूल ﷺ के पास आया और कहा कि उसने रमज़ान में रोज़े की हालत में अपनी पत्नी से हमबिस्तर हो बैठा है और वो गुनाह कर बैठा इसके लिए उसे क्या करना होगा। नबी ﷺ ने उसे फरमाया कि तुम एक गुलाम आज़ाद करदो , लेकिन वो साहब गुलाम आज़ाद करने की हालत में नहीं हे , तो फिर नबी ﷺ ने फरमाया कि 60 दिन रोज़े रखने होंगे तो सहाबा ने कहा नहीं रख सकता तबियत नसार रहती है तो अपने फिर फरमाया यदि यह मुनासिब न हो तो 60 ग़रीबों को खाना खिलाने का हुक्म दिया। (सहीह अल-बुखारी 1936)
3. शौहर और बेगम दोनों पर बराबर हुक्म लागू होता है
✅अगर यह काम आपसी सहमति से हुआ है, तो शौहर और बेगम दोनों को क़ज़ा और कफ्फ़ारा पूरा करना होगा।
✅अगरअगर शौहर ने जबरदस्ती किया हो, तो बीवी पर कफ्फ़ारा नहीं लेकिन क़ज़ा ज़रूरी होगी।
एहम बातें : Important notes
तौबा (अल्लाह से माफ़ी मांगना): यह एक बड़ा गुनाह है, इसलिए दिल से तौबा करनी चाहिए और दोबारा ऐसा न करने का पक्का इरादा करना चाहिए।
हमबिस्तर होने का सही समय: रमज़ान में شوہر اور بیوی (shohar or biwi) के लिए सिर्फ इफ़्तार के बाद से सहरी से पहले तक हमबिस्तर होना जायज़ (हलाल) है।
किसी उलमा (इस्लामिक स्कॉलर) से रहनुमाई लें: यदि किसी को कोई विशेष समस्या या बीमारी हो तो किसी योग्य इस्लामी विद्वान से सलाह लें।
क़ुरआन में रमज़ान और शारीरिक संबंध का हुक्म
अल्लाह तआला फरमाते हैं:
“तुम्हारे लिए रमज़ान की रातों में अपनी पत्नियों से संबंध बनाना हलाल कर दिया गया है…” (क़ुरआन 2:187)
क़ुरआन की सूरह अल-बक़रा (2:187) में रोज़े (सियाम) के अहकाम का ज़िक्र किया गया है। इस आयत का अनुवाद है:
“तुम्हारे लिए रोज़े की रातों में अपनी बीवी के पास जाना हलाल कर दिया गया है। वे तुम्हारे लिए लिबास हैं और तुम उनके लिए लिबास हो। अल्लाह जानता था कि तुम अपने नफ़्स के साथ ख़यानत करोगे इसलिए उसने तुम्हारी तौबा क़बूल कर ली और तुम्हें माफ कर दिया। अब तुम उनसे सहवास कर सकते हो और अल्लाह द्वारा निर्धारित चीज़ की कामना करो। और खाओ और पियो यहाँ तक कि तुमको भोर की सफेदी (सफेद धागा) काली रात (काले धागे) से स्पष्ट रूप से नज़र आ जाए। फिर रात तक रोज़ा पूरा करो। और जब तुम मस्जिदों में ए’तकाफ़ में हो तो अपनी बीवियों से करीब न रखो। ये अल्लाह की हदीस हैं, अतः इनके क़रीब न जाओ। इसी तरह अल्लाह अपनी आयतों को लोगों के लिए साफ करता है ताकि वे तक़वा अपनाएँ।”
इस आयत से साफ होता है कि रमज़ान में सिर्फ रात में हमबिस्तर रखना जायज़ है, दिन में नहीं।
नतीजा : Conclusion
अगर रमज़ान के दिन में रोज़ा तोड़कर पति-पत्नी ने हमबिस्तर किया, तो
✅ तौबा करनी होगी
✅ रोज़े की क़ज़ा रखनी होगी
✅ कफ्फ़ारा अदा करना होगा (60 रोज़े या 60 ग़रीबों को खाना खिलाना)
अल्लाह हमें रमज़ान की पाकीज़गी को बनाए रखने और हमारे रोज़ों को कबूल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन!
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